इस दिन सर्वपितृ अमावस्या और आंशिक सूर्यग्रहण एक साथ पड़ रहे हैं। धार्मिक दृष्टि से यह संयोग पितरों की तृप्ति और ग्रहदोष शांति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
आंशिक सूर्यग्रहण
- यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
- मुख्य रूप से अंटार्कटिका, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया (न्यू साउथ वेल्स, क्वींसलैंड, तस्मानिया, विक्टोरिया), न्यूजीलैंड, फिजी और आस-पास के क्षेत्रों में देखा जा सकेगा।
भारतीय समयानुसार अवधि:
- प्रारंभ: 21 सितंबर रात 10:59 बजे
- समाप्ति: 22 सितंबर सुबह 3:23 बजे
धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
इस बार की सर्वपितृ अमावस्या सूर्यग्रहण के साथ पड़ रही है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्रद्धापूर्वक किया गया दान कई गुना फल देता है। पितरों की कृपा प्राप्त होती है, ग्रहदोष शांत होते हैं और जीवन में बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
श्रद्धा और विश्वास के साथ दान करने से घर में शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।
सर्वपितृ अमावस्या 2025 पर क्या दान करें
इस पवित्र दिन पर निम्न वस्तुएँ दान करने के लिए सर्वोत्तम मानी गई हैं:
- अन्न और अनाज
चावल, गेहूं, आटा, तिल, गुड़ और दालें दान करना सर्वोच्च पुण्यकारी माना जाता है। इससे घर में अन्न की कभी कमी नहीं होती और परिवार में समृद्धि और पोषण बना रहता है। - कपड़े
गरीबों, जरूरतमंदों या ब्राह्मणों को नए वस्त्र दान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। यह दान गरिमा, सुरक्षा और सुख का प्रतीक है, जिससे परिवार में सदैव मंगल बना रहता है। - तिल और काला उड़द
तिल हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। काले तिल और उड़द का दान शनि देव को प्रसन्न करता है और पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है। यह दान शनि के अशुभ प्रभाव को कम करता है और आध्यात्मिक शुद्धि लाता है। - तेल और घी
तेल या घी दान करना अत्यंत शुभ है, विशेषकर जब इसे दीपदान के लिए उपयोग किया जाए। यह अंधकार और अज्ञान को दूर करता है और जीवन में प्रकाश, ज्ञान और शुभता लाता है। - फल और मौसमी सब्ज़ियाँ
केले, नारियल और सात्विक भोजन सामग्री दान करना अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह दान पवित्रता, सादगी और पोषण का प्रतीक है, जिससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिवार में अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। - बर्तन और पात्र
तांबा, पीतल या मिट्टी के बर्तन दान करना जल और अग्नि तत्व की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। ये पात्र समृद्धि और शुद्धता का प्रतीक हैं और परिवार में स्थायी सुख-समृद्धि लाते हैं। - सफेद वस्तुएँ
दूध, दही, खीर, मिश्री और चीनी जैसी सफेद वस्तुएँ पवित्रता और शांति का प्रतीक मानी जाती हैं। इनका दान मानसिक स्थिरता, आध्यात्मिक प्रगति और पितृ तर्पण से संतोष दिलाता है। - दान दक्षिणा
ब्राह्मणों, साधुओं या जरूरतमंदों को भोजन कराना और साथ में दक्षिणा देना पितृ सेवा का सर्वोत्तम रूप माना गया है। इससे न केवल पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है बल्कि ईश्वरीय कृपा भी मिलती है, जो जीवन में सुख, सफलता और संतोष प्रदान करती है।
निष्कर्ष
21 सितंबर 2025 को होने वाला आंशिक सूर्यग्रहण और सर्वपितृ अमावस्या का यह संयोग श्रद्धा, आस्था और आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। इस दिन उचित दान-पुण्य करने और पितरों का स्मरण करने से आत्मिक शांति तथा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।