अक्सर लोगों के मन में बार बार यह सवाल उठता है की श्रीमद्भागवत को श्रेष्ठ क्यों माना जाता है। श्रीमद् भागवत में बहुत ही ज्ञानवर्धक बातें लिखी हैं। श्रीमद्भागवत की हर बात से हमें कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है।आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से श्रीमद्भागवत की कुछ प्रेरणादायक बातें बताने जा रहे है। श्रीमद् भागवत के श्लोक पढ़ने या ध्यान पूर्वक सुनने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आप श्रीमद्भागवत का पाठ कभी भी कर सकते हैं या करवा सकते है. आप चाहे तो रोज़ थोड़ा थोड़ा श्रीमद्भागवत का पाठ भी कर सकते हैं. हमारे शास्त्रों में श्रीमद् भागवत के मूल पाठ को लेकर कुछ कथाएं बताई गयी हैं।
शास्त्रों के अनुसार एक बार श्रृंगी ऋषि ने महाराज परीक्षित को श्राप दिया की 7 दिनों के अंदर तक्षक के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। श्राप मिलने के बाद महाराज परीक्षित दुखी होकर अपना राज्य त्याग कर गंगा के अक्सर लोगों के मन में बार बार यह सवाल उठता है की श्रीमद्भागवत को श्रेष्ठ क्यों माना जाता है। श्रीमद् भागवत में बहुत ही ज्ञानवर्धक बातें लिखी हैं। श्रीमद्भागवत की हर बात से हमें कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से श्रीमद्भागवत की कुछ प्रेरणादायक बातें बताने जा रहे है। श्रीमद् भागवत के श्लोक पढ़ने या ध्यान पूर्वक सुनने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आप श्रीमद्भागवत का पाठ कभी भी कर सकते हैं या करवा सकते है. आप चाहे तो रोज़ थोड़ा थोड़ा श्रीमद्भागवत का पाठ भी कर सकते हैं. हमारे शास्त्रों में श्रीमद् भागवत के मूल पाठ को लेकर कुछ कथाएं बताई गयी हैं।
शास्त्रों के अनुसार एक बार श्रृंगी ऋषि ने महाराज परीक्षित को श्राप दिया की 7 दिनों के अंदर तक्षक के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। श्राप मिलने के बाद महाराज परीक्षित दुखी होकर अपना राज्य त्याग कर गंगा के किनारे तपस्या करने चले गए। जब महाराज परीक्षित गंगा के किनारे तपस्या कर रहे थे तब वहां पर गुरु शुक्र देव आए और उन्होंने महाराज परीक्षित से कहा कि यदि वह मुक्ति पाना चाहते हैं तो श्रीमद्भागवत का पाठ करें। उसी समय वहां पर इंद्रदेव आए उन्होंने शुक्र देव से प्रार्थना कर के कहा कि वह महाराज परीक्षित को अमृत कलश देकर उन्हें श्रीमद् भागवत का पाठ सुनाएं। तब शुक्र देव जी ने कहा कि जैसे एक कांच का टुकड़ा और बहुमूल्य मणि एक समान नहीं होते हैं वैसे ही श्रीमद्भागवत और अमृत कलश की तुलना एक साथ नहीं की जा सकती है । इस बात से यह पता चलता है कि श्रीमद्भागवत में लिखे श्लोक अमृत से भी ज्यादा बहुमूल्य और उच्च हैं।
मान्यताओं के अनुसार एक बार एक धुंधकारी नामक महपति था। जिसने अपने जीवन में बहुत सारे पापकर्म किए थे। अपने किए गए पापों के कारण मृत्यु के पश्चात उसे प्रेत योनि प्राप्त हुई थी। धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्त कराने के लिए उसके भाई गोकर्ण ने बहुत सारे उपाय किए। परंतु फिर भी धुंधकारी को प्रेत योनी से मुक्ति नहीं मिली। तब गोकर्ण ने अपने भाई की मुक्ति के लिए सूर्य देव की तपस्या की। तब सूर्यदेव ने गोकर्ण को बताया कि श्रीमद् भागवत का पाठ करने से धुंधकारी की मुक्ति हो सकती है।
परम संत सनत कुमार के अनुसार जिन लोगों ने अपने जीवन में कभी भी कोई अच्छा काम नहीं किया है वह लोग अगर श्रीमद्भागवत का पाठ करें तो उन्हें सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल सकती है। श्रीमद् भागवत का पाठ आप साल में कभी भी करा सकते हैं, पर यदि आप पित्र पक्ष में श्रीमद्भागवत का पाठ करवाते हैं तो इससे आपको दोगुना लाभ मिल सकता है।
आज हम आपको श्रीमद्भागवत में लिखी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
1- श्रीमद् भागवत के अनुसार जो भी होता है वह अच्छे के लिए होता है। इसलिए मनुष्य को भविष्य और बीते हुए समय के बारे में सोचकर दुखी नहीं होना चाहिए
2- श्रीमद् भागवत में बताया गया है की पृथ्वी पर कुछ भी स्थिर नहीं है। इसलिए मनुष्य को कभी भी ऐसी बातों के लिए दुखी नहीं होना चाहिए जो उसके बस में नहीं हैं या परिवर्तनशील है।
3- श्रीमद् भागवत के अनुसार ध्यान यानी मेडिटेशन मनुष्य के लिए बहुत ही जरूरी होता है। मेडिटेशन करने से मनुष्य को आत्मज्ञान होता है जिससे किसी भी व्यक्ति की जिंदगी में बदलाव आ सकता है।
4- आजकल ज्यादातर लोग हमेशा पैसे कमाने की होड़ में लगे रहते हैं। श्रीमद्भागवत में बताया गया है कि मनुष्य इस पृथ्वी पर खाली हाथ आया था और खाली हाथ ही जाएगा। इसलिए पैसे कमाने की भागमभाग में अपनी छोटी छोटी खुशियों का त्याग ना करें।
5- श्रीमद् भागवत के अनुसार मनुष्य की सोच बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। आप जैसा सोचते हैं या आप जिन बातों पर विश्वास करते हैं समय के साथ वही बातें सार्थक होती जाती हैं। अर्थात यदि आप सकारात्मक विचार रखते हैं तो आपके साथ सभी चीजें अच्छी होंगी। अगर आपके मन में नकारात्मक विचार रहते हैं तो आप हमेशा दुखी रहोगे।
6- श्रीमद्भागवत में बताया गया है कि मनुष्य को हमेशा स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए। क्योंकि आपकी सभी समस्याओं का हल आपके पास ही होता है। अगर आप अपनी किसी समस्या के लिए अलग-अलग लोगों से सलाह लेते हैं तो आपकी समस्या कम होने की जगह बढ़ सकती है। इसलिए आपको स्वयं ही अपनी समस्या का समाधान करना होगा।
अक्सर लोगों के मन में बार बार यह सवाल उठता है की श्रीमद्भागवत को श्रेष्ठ क्यों माना जाता है। श्रीमद् भागवत में बहुत ही ज्ञानवर्धक बातें लिखी हैं। श्रीमद्भागवत की हर बात से हमें कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से श्रीमद्भागवत की कुछ प्रेरणादायक बातें बताने जा रहे है। श्रीमद् भागवत के श्लोक पढ़ने या ध्यान पूर्वक सुनने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आप श्रीमद्भागवत का पाठ कभी भी कर सकते हैं या करवा सकते है. आप चाहे तो रोज़ थोड़ा थोड़ा श्रीमद्भागवत का पाठ भी कर सकते हैं. हमारे शास्त्रों में श्रीमद् भागवत के मूल पाठ को लेकर कुछ कथाएं बताई गयी हैं।
शास्त्रों के अनुसार एक बार श्रृंगी ऋषि ने महाराज परीक्षित को श्राप दिया की 7 दिनों के अंदर तक्षक के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। श्राप मिलने के बाद महाराज परीक्षित दुखी होकर अपना राज्य त्याग कर गंगा के किनारे तपस्या करने चले गए। जब महाराज परीक्षित गंगा के किनारे तपस्या कर रहे थे तब वहां पर गुरु शुक्र देव आए और उन्होंने महाराज परीक्षित से कहा कि यदि वह मुक्ति पाना चाहते हैं तो श्रीमद्भागवत का पाठ करें। उसी समय वहां पर इंद्रदेव आए उन्होंने शुक्र देव से प्रार्थना कर के कहा कि वह महाराज परीक्षित को अमृत कलश देकर उन्हें श्रीमद् भागवत का पाठ सुनाएं। तब शुक्र देव जी ने कहा कि जैसे एक कांच का टुकड़ा और बहुमूल्य मणि एक समान नहीं होते हैं वैसे ही श्रीमद्भागवत और अमृत कलश की तुलना एक साथ नहीं की जा सकती है । इस बात से यह पता चलता है कि श्रीमद्भागवत में लिखे श्लोक अमृत से भी ज्यादा बहुमूल्य और उच्च हैं।
मान्यताओं के अनुसार एक बार एक धुंधकारी नामक महपति था। जिसने अपने जीवन में बहुत सारे पापकर्म किए थे। अपने किए गए पापों के कारण मृत्यु के पश्चात उसे प्रेत योनि प्राप्त हुई थी। धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्त कराने के लिए उसके भाई गोकर्ण ने बहुत सारे उपाय किए। परंतु फिर भी धुंधकारी को प्रेत योनी से मुक्ति नहीं मिली। तब गोकर्ण ने अपने भाई की मुक्ति के लिए सूर्य देव की तपस्या की। तब सूर्यदेव ने गोकर्ण को बताया कि श्रीमद् भागवत का पाठ करने से धुंधकारी की मुक्ति हो सकती है।
परम संत सनत कुमार के अनुसार जिन लोगों ने अपने जीवन में कभी भी कोई अच्छा काम नहीं किया है वह लोग अगर श्रीमद्भागवत का पाठ करें तो उन्हें सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल सकती है। श्रीमद् भागवत का पाठ आप साल में कभी भी करा सकते हैं, पर यदि आप पित्र पक्ष में श्रीमद्भागवत का पाठ करवाते हैं तो इससे आपको दोगुना लाभ मिल सकता है।
आज हम आपको श्रीमद्भागवत में लिखी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
1- श्रीमद् भागवत के अनुसार जो भी होता है वह अच्छे के लिए होता है। इसलिए मनुष्य को भविष्य और बीते हुए समय के बारे में सोचकर दुखी नहीं होना चाहिए
2- श्रीमद् भागवत में बताया गया है की पृथ्वी पर कुछ भी स्थिर नहीं है। इसलिए मनुष्य को कभी भी ऐसी बातों के लिए दुखी नहीं होना चाहिए जो उसके बस में नहीं हैं या परिवर्तनशील है।
3- श्रीमद् भागवत के अनुसार ध्यान यानी मेडिटेशन मनुष्य के लिए बहुत ही जरूरी होता है। मेडिटेशन करने से मनुष्य को आत्मज्ञान होता है जिससे किसी भी व्यक्ति की जिंदगी में बदलाव आ सकता है।
4- आजकल ज्यादातर लोग हमेशा पैसे कमाने की होड़ में लगे रहते हैं। श्रीमद्भागवत में बताया गया है कि मनुष्य इस पृथ्वी पर खाली हाथ आया था और खाली हाथ ही जाएगा। इसलिए पैसे कमाने की भागमभाग में अपनी छोटी छोटी खुशियों का त्याग ना करें।
5- श्रीमद् भागवत के अनुसार मनुष्य की सोच बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। आप जैसा सोचते हैं या आप जिन बातों पर विश्वास करते हैं समय के साथ वही बातें सार्थक होती जाती हैं। अर्थात यदि आप सकारात्मक विचार रखते हैं तो आपके साथ सभी चीजें अच्छी होंगी। अगर आपके मन में नकारात्मक विचार रहते हैं तो आप हमेशा दुखी रहोगे।
6- श्रीमद्भागवत में बताया गया है कि मनुष्य को हमेशा स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए। क्योंकि आपकी सभी समस्याओं का हल आपके पास ही होता है। अगर आप अपनी किसी समस्या के लिए अलग-अलग लोगों से सलाह लेते हैं तो आपकी समस्या कम होने की जगह बढ़ सकती है। इसलिए आपको स्वयं ही अपनी समस्या का समाधान करना होगा।