मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए करें श्री यंत्र की पूजा

हमारे धर्म पुराणों में मां लक्ष्मी और उनका प्रतीक माने जाने वाले श्री यंत्र की महिमा का वर्णन किया गया है.  मान्यताओं के अनुसार  श्री यंत्र को घर के पूजा गृह, तिजोरी में रख कर नियमित रूप से धूप, दीप आदि से पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से मनुष्य को धन-धान्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. श्री यंत्र को यंत्रों का राजा भी कहा जाता है. विशेष रूप से नवरात्रि और धनतेरस के दिन श्री यंत्र की पूजा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती है. शास्त्रों में श्री यंत्र को तीनों लोको का प्रतीक माना गया है. इसलिए इसे त्रिपुर यंत्र भी कहते हैं.

श्री यंत्र का स्वरूप :-

  • ऋग्वेद और अथर्ववेद के श्री सूक्त में कहा गया है श्री यंत्र वैभव और संपदा की अधिष्ठात्री  महालक्ष्मी का प्रतीक है.
  • अनंत ऐश्वर्य और सुख प्राप्त करने के लिए पुरातन काल से ही श्री यंत्र की  पूजा और साधना की जाती है.
  • सोना, चांदी, हाथी, घोड़ा, आभूषण, संपति, सौभाग्य ,तेज इत्यादि सभी चीजें मां लक्ष्मी का ही रूप होती हैं. मां लक्ष्मी की कृपा होने पर गरीब व्यक्ति भी अमीर हो जाता है.
  • जब मां लक्ष्मी नाराज होती है तो सेठ साहूकार भी कंगाल हो जाते हैं.

कथा:-

  • प्राचीन काल में जब भृगु ऋषि ने श्री हरि विष्णु की छाती पर पांव से प्रहार किया, तब मां लक्ष्मी पृथ्वी वासियों से नाराज होकर वैकुंठ में निवास करने लगी.
  • लक्ष्मी माता के चले जाने से संसार के सभी लोग दीन हीन और असहाय हो गए. मां लक्ष्मी के जाने से प्राणियों का उत्साह, कौशल, कांति, तेज सब चले गए.
  • ब्राह्मणों तथा ऋषि-मुनियों के धर्म और कर्म का नुकसान होने लगा. व्यापारियों का व्यापार खत्म हो गया. क्षत्रियों का शौर्य और बल नष्ट हो गया.
  • मां लक्ष्मी के जाने से पूरा संसार त्राहि-त्राहि करने लगा. संसार की अवस्था को देखकर वशिष्ठ मुनि ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की.
  • ऋषि वशिष्ठ की तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु भगवान प्रकट हुए और उन्हें अपने साथ बैकुंठधाम ले गए. वैकुंठ धाम जाकर वशिष्ठ मुनि ने माँ लक्ष्मी से घर लौटने की प्रार्थना की पर मां लक्ष्मी ने ऋषि वशिष्ठ की बात नहीं मानी और दृढ़ता पूर्वक पृथ्वीलोक आने से मना कर दिया.
  • वशिष्ठ ऋषि निराश होकर वापस लौट आए. उसके बाद बृहस्पति देव सभी ऋषि-मुनियों को साथ लेकर भगवान भोलेनाथ की शरण में गए.
  • भगवान शिव ने कहा कि लक्ष्मी को फिर से पृथ्वी पर लाने का सिर्फ एक ही तरीका है. अगर लोग प्राण प्रतिष्ठित सिद्ध चैतन्य श्री यंत्र की स्थापना करके श्री सूक्त का पाठ करके मां लक्ष्मी का आवाहन करें.
  • ऐसा करने से मां लक्ष्मी फिर से भूलोक वासियों पर कृपा करेंगे. भगवान शिव की बात मानकर सभी ऋषि यों ने श्री यंत्र की स्थापना करके पूरे विधि-विधान के साथ मां लक्ष्मी का आवाहन किया.
  • श्री यंत्र की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न हुई और प्रकट होकर बोली कि श्री यंत्र मेरा प्राण, मेरी शक्ति, मेरा ही स्वरूप है. इसी श्री यंत्र के असर के कारण मुझे विवश होकर फिर से पृथ्वी लोक पर आना होगा.

 श्री यंत्र से जुड़ी खास बातें :-

  • जो मनुष्य अपने जीवन में सुख समृद्धि, धन और सौभाग्य पाना चाहते हैं उन्हें नियमित रूप से श्रीयंत्र का पूजन करना चाहिए.
  • श्रीयंत्र का पूजन करने से मां लक्ष्मी सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं और सभी मनोकामनाएं को पूरा करती हैं.
  • श्री यंत्र को घर दुकान पूजा स्थल में रखने से मां लक्ष्मी वहां स्वयं निवास करती हैं. श्रीयंत्र में 2816 देवी देवताओं का वास होता है. इसीलिए श्री यंत्र को यंत्रराज और देव द्वार भी कहा जाता है.
  • अगर नियमित रूप से विधि पूर्वक श्री यंत्र की पूजा की जाए तो समस्त देवी देवताओं की पूजा का पुण्य एक साथ प्राप्त होता है और मनुष्य के पिछले जन्म के पाप दूर हो जाते हैं और साथ ही धन समृद्धि की प्राप्ति होती है.
  • अगर कोई व्यक्ति अपना मकान, प्रतिष्ठान आदि का निर्माण करवाना चाहता है तो सर्वप्रथम नीव में शुद्ध चैतन्य श्री यंत्र की स्थापना करनी चाहिए. जिससे आने वाले समय में लगातार प्रगति होती रहे और श्री यंत्र की अद्भुत रहस्य में चमत्कारी शक्तियों का अनुभव मिल सके.
  • भारत के पुराने और प्रख्यात तीर्थ स्थलों में श्री यंत्र के अद्भुत चमत्कार आज भी नज़र आते हैं. दक्षिण भारत में मौजूद तिरुपति बालाजी के मंदिर की नींव और मुख्य विग्रह की पीठ पर श्री यंत्र की स्थापना है. जिसकी नियमित रूप से पूजा-अर्चना की जाती है.
  • इसके अलावा आबू के दिलवाड़ा मंदिर में ओसीमा देवी के द्वार और खंभों पर भव्य श्री यंत्र अंकित किया गया है.
  • बांसवाड़ा में श्री त्रिपुर सुंदरी देवी के मंदिर में उर्जा चरण चौकी पर श्री यंत्र स्थापित किया गया है. इसके अलावा महर्षि रमण के आश्रम तथा जगद्गुरु शंकराचार्य के मठों में भी भव्य रुप से श्री यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा की गई है.
  • श्री यंत्र की रहस्यमई और अदृश्य उर्जा के कारण इन मंदिरों और मठों में महालक्ष्मी साक्षात रूप से निवास करती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं को पूरा करती हैं.

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