यह बात सभी जानते हैं कि तिरुपति बालाजी और नाथद्वारा मंदिरों की नींव में श्री यंत्र की स्थापना की गई है. जिसकी वजह से वहां पर नियमित रूप से करोड़ों रुपए चढ़ावे के रूप में आते हैं. श्री यंत्र की स्थापना करने के कारण इन जगहों पर मां लक्ष्मी साक्षात निवास करती हैं. शास्त्रों के अनुसार श्रीयंत्र माँ लक्ष्मी का सबसे प्रिय यंत्र है. श्रीयंत्र की पूजा करने से माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. जिस घर में पुरे विधि विधान से श्रीयंत्र की पूजा की जाती है वहां हमेशा सुख सम्पत्ति और ऐश्वर्य निवास करते हैं.
- श्री यंत्र की परिभाषा :- श्री यंत्र शब्द का निर्माण यम धातु से होता है. जिससे ग्रह या देवी देवताओं के होने का बोध प्राप्त होता है.
- श्री यंत्र का स्वरूप ज्यामितीय होता है, जिसका निर्माण त्रिभुज, वृत्त, आयत और बिंदुओं से मिलकर होता है.
- शारदा तिलक और तांत्रिक ग्रंथों में श्री यंत्र की व्याख्या की गई है. श्री यंत्र का निर्माण पत्थर, धातु और विशेष पत्रों में किया जाता है.
- श्रीयंत्र का स्वरुप :- श्री यंत्र को विशेष मुहूर्त में बनाया जाता है. श्री यंत्र बहुत ही शक्तिशाली होते हैं. यदि नियमानुसार श्री यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा की जाए तो यह सिद्ध यंत्र मनुष्य को सभी दुखों से मुक्ति दिलाता है.
- श्री यंत्र की पूजा करने से देवता बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. श्री यंत्र को भगवती त्रिपुर सुंदरी का स्वरूप माना जाता है. इसलिए इसे यंत्र राज ही कहते हैं.
- श्रीयंत्र का शाब्दिक अर्थ :- श्री यंत्र का शाब्दिक अर्थ है क्ष्यते या साक्षी इसका अर्थ है जो सुना जाता है. वही श्री है.
- यंत्र में बहुत सारे वर्त मौजूद होते हैं. केंद्र में बिंदु और 9 त्रिकोण बने हुए हैं.
- 5 की नोक ऊपर की तरफ है जिसे शिव ज्योति कहा जाता है.
- नीचे की नोक को शिवजी का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इसे नीलकंठ कहते हैं.
- इसी प्रकार 18 और दूसरा 16 दल वाला कमल भी है.
- महालक्ष्मी सिद्धि श्री यंत्र सभी मनोकामना को पूरा करने वाला है. श्री यंत्र की पूजा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
- श्रीयंत्र की स्थापना करने की विधि:- श्री यंत्र का निर्माण किसी तांत्रिक से शुभ मुहूर्त या गुरु पुष्य योग में चांदी तांबा या सोने पर नियमानुसार करना चाहिए.
- इसके बाद विधि पूर्वक गणेश पूजन, कलश पूजन, इष्ट देव पूजन करके विनियोग, ऋष्यादिन्यास, करण्यास हृदयदिषंगन्यास दिग बंधन ध्यान और सपुंटित श्री सूक्त का पाठ करने के बाद दशमांश, हवन, कन्या भोज, ब्राह्मण भोज करके श्री यंत्र को मंदिर या तिजोरी में रखना चाहिए.
- नियमित रूप से श्रीसूक्त का एक पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है.
- इसी तरह मां लक्ष्मी के अष्टोत्तर शतनाम सहस्त्रनाम स्रोत का पाठ भी इच्छानुसार करना चाहिए. दीपावली की रात को श्री यंत्र की पूजन का खास नियम है.
- दीपावली की रात सपुंटित श्री सूक्त का 1008 बार पाठ करके श्री यंत्र की शुद्धि की जाती है.
- ओम श्रीम ह्रींग श्री कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रींग श्री ओम महालक्ष्मी नमः
- मंत्र का सम्पुट लगाकर श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए.
- श्री यंत्र की सिद्धि किसी उत्तम विद्वान की देखरेख में करनी चाहिए. श्री यंत्र की सिद्धि के और भी मंत्र और विधियां है.
- आप कुरकुला पत्र से अपने लिए सही मंत्र का पाठ करके इसे सिद्ध कर सकते हैं. श्री यंत्र की पूजा करने से धन प्रतिष्ठा सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है.
- श्री यंत्र को यंत्रों का राजा माना जाता है इसीलिए इसकी स्थापना करने से सभी कार्य संभव हो जाते हैं.