जानिए कौन से हैं हिंदू धर्म के प्रमुख व्रत पर्व और त्योहार

महावीर जयंती

महावीर स्वामी की मृत्यु के वक्त उनकी उम्र 72 वर्ष थी. इनका निधन पावापुरी बिहार में हुआ था. प्राचीन पावापुरी को आज पटना के नाम से जाना जाता है. स्वामी महावीर जयंती हर साल चैत्र सुदी तेरस के दिन मनाई जाती है. इसी को महावीर जयंती के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लोग मंदिर में जाकर महावीर जी की प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाते हैं. आरती करते हैं और उनके उपदेशों का व्याख्यान सुनते हैं. महावीर जयंती के दिन गरीबों को दान देना शुभ होता है.

हनुमान जयंती 

  • हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था.
  • पंचांगों के आधार पर व्रतों का निर्णय किया जाता है.
  • पंचांग के अनुसार हनुमान जी की जन्म तिथि को लेकर बहुत सारे मतभेद हैं.
  • किसी में हनुमान जयंती की तिथि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी बताई जाती है, तो किसी में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा.
  • जो लोग हनुमान जयंती का व्रत रखते हैं उन्हें त्रयोदशी की राशि में राम जानकी और हनुमान जी का स्मरण करके पृथ्वी पर सोना चाहिए और रूप चतुर्दशी को सूर्योदय से पहले उठकर राम जानकी और हनुमान जी का पुनः स्मरण करके सुबह नहाने के बाद हनुमान जी की पहले से प्रतिष्ठित की गई प्रतिमा के सामने पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर विनम्रता के साथ इस मंत्र का जाप करना चाहिए.

अतुलितबलधामं स्वर्णलाभदेहम दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं सकल गुण निधानं वारणामधीशं रघुपतिवरदूतं  वातजातं नमामि 

  • इस मंत्र का पाठ करने के बाद हनुमान जी की यथा विधि पूजा करें.
  • अगर आपके घर के पास कोई नदी हो तो उसमें स्नान करें अन्यथा कुएं के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. वस्त्रों में लाल और पीतांबर, गंध में केसर युक्त चंदन, मूंज का यज्ञोपवीत, पुष्प में शत पत्र, केतकी, कनेर और पीले फूल, धूप में अगर तगर आदि दीपक में गौ घृत पूर्ण बत्ती तथा नैवेद्य में घृतपक्क अथवा अपूष, आटे को घी में सेक कर गुड मिलाए हुए मोदक और केला आदि हनुमान जी को अर्पित करें.
  • अब उनके सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें और प्रसाद का वितरण करें.
  • रात के समय हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर प्रार्थना, पाठ, गायन और कीर्तन करते हुए रात्रि जागरण करें.

अक्षय तृतीय

  • अक्षय तृतीय को शास्त्रों के अनुसार सत्य और त्रेता युग का आरंभ माना जाता है. क्योंकि अक्षय तृतीया के दिन किया गया जप, तप, ज्ञान और दान अक्षय फलदायक होता है. इसलिए इसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है.
  • अगर यह व्रत सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र में पड़े तो बहुत फलदायक होता है. अगर अक्षय तृतीया मध्यान से पहले शुरू होकर प्रदोष तक रहती है तो बहुत श्रेष्ठ मानी जाती है.
  • अक्षय तृतीया के दिन जो भी शुभ काम किए जाते हैं उनका बहुत श्रेष्ठ फल मिलता है.
  • शास्त्रों में बताया गया है कि बहुत से शुभ और पूजनीय काम इस दिन किए जाते हैं.
  • जिनसे मनुष्यों का जीवन धन्य हो जाता है. इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का बहुत महत्व है.
  • जो लोग इस दिन गंगा नदी में स्नान करते हैं उन्हें अपने जीवन में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
  • अक्षय तृतीया के दिन सुबह, पंखा, चावल, नमक, चीनी, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा देने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
  • अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनारायण के पट खुलते हैं.
  • जो लोग ठाकुर के द्वार में जाकर या बद्री नारायण जी का चित्र सिंहासन पर रखकर उन्हें मिश्री और भीगे हुए चने की दाल का भोग लगाते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
  • अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु को तुलसी जल चढ़ाकर भक्ति पूर्वक आरती करनी चाहिए.
  • अक्षय तृतीया के दिन वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी के मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं. अन्यथा पूरे दिन पूरे वर्ष यह श्री विग्रह वस्त्रों से ढके रहते हैं.
  • नर नारायण ने भी अक्षय तृतीया के दिन अवतार लिया था. इसके अलावा श्री परशुराम जी का अवतार भी इसी दिन हुआ था.
  • अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्ध्य देने को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.
  • हयग्रीव का अवतरण भी इसी दिन हुआ था. इसलिए अक्षय तृतीया का त्यौहार दान प्रधान माना जाता है.
  • इसके आसपास पढ़ने वाली मेष संक्रांति में ब्राह्मणों को चीनी या गुड़ के साथ सत्तू दान करने से उत्तम गुणों की प्राप्ति होती है. इस दिन सत्तू का सेवन जरूर करना चाहिए.
  • परशुराम जी का जन्म वैशाख शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को यानि अक्षय तृतीया की रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था. इसलिए यह प्रदोष व्यापनी ग्राह्य होती है.
  • अगर 2 दिन प्रदोष व्यापनी हो तो दूसरे दिन अक्षय तृतीया का व्रत करना चाहिए. व्रत के दिन सुबह नहाने के बाद यह संकल्प लें

ममब्रह्मत्त्व प्राप्ति कामनया परशुराम पूजन महम  करिष्ये

  • इसके बाद सूर्यास्त तक मौन धारण करना चाहिए शाम के समय दोबारा नहा कर परशुराम जी का विधिवत पूजन करके निम्नलिखित मंत्र का जाप करें और उन्हें अर्ध्य दें.
  • इस मंत्र का रात भर जाप करना चाहिए.
  • इस मन्त्र का जाप करने से परशुराम जी प्रसन्न होते हैं और मनुष्यों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

जदग्निसुदोवीर क्षत्रियंकर प्रभो गृहाणार्ध्य मया दत्तं कृपया परमेश्वरा

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