जानिए कैसे काम करते हैं रत्न

प्रकृति ने इंसान को रत्नों के रूप में कुछ ऐसी अद्भुत दैवीय शक्तियां प्रदान की है  जिनका इस्तेमाल अगर सही तरीके से किया जाए तो इंसान की सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं.

अगर ज्योतिष विज्ञान के अनुसार उचित रत्न विधि पूर्वक धारण किए जाएं तो धारणकरता अपने जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति पा सकता है और जीवन के हर क्षेत्र में मनोवांछित सफलताएं भी प्राप्त कर सकता है.

क्या आपको पता है?

  • क्या आपको पता है रत्नों के अद्भुत उपयोग होते हैं. रत्न प्रकृति का ऐसा नायब तोहफा है जिन को धारण करके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं.
  • यह रत्न सीधा ब्रह्मांड से संबंधित होते हैं. इन रत्नों का सीधा संबंध ब्रह्मांड में मौजूद ग्रहों से होता है और हमारा संबंध इन रत्नों से होता है.
  • जिसके कारण अलग-अलग रत्नों का हमारे जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है.
  • रत्न मनुष्यों के लिए प्रकृति का अद्भुत वरदान है.
  • पुराने जमाने से ही मनुष्य रत्नों के प्रति विशेष रूप से आकर्षित रहा है.
  • रत्नों का संबंध अलग-अलग ग्रह नक्षत्रों से होता है. इन रत्नों का विवरण हमारे ग्रंथ और पुराणों में भी मौजूद है.
  • आज के विज्ञान में भी रत्नों को महत्वपूर्ण माना गया है.
  • मनुष्य शुरुआत से ही अलग अलग रत्नों का इस्तेमाल गहनों आभूषण आदि के रूप में करता आया है.
  • ज्यादातर लोग रत्नों का इस्तेमाल अंगूठी में जड़वा कर करते हैं, पर क्या रत्न हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं. आम व्यक्ति के लिए यह बहुत ही जिज्ञासा और उत्सुकता का विषय है की रत्न कैसे काम करते हैं.

कैसे रत्नों को पहनने से व्यक्ति के जीवन में बदलाव और उतार-चढ़ाव आने लगते हैं. इसके पीछे क्या रहस्य छुपा हुआ है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं रत्न किस प्रकार काम करते हैं.

  • पृथ्वी में अपनी ओर किसी भी वस्तु को खींचने का आकर्षण मौजूद होता है. जिसे वैज्ञानिकों के द्वारा सिद्ध भी किया गया है.
  • सूर्य के आकर्षण के असर से दूसरे ग्रह उसके चारों ओर परिक्रमा करते रहते हैं और पृथ्वी ग्रह भी सूर्य के आकर्षण के प्रभाव में रहता है.
  • इससे यह बात स्पष्ट होती है कि पृथ्वी पर रहने वाला इंसान भी सूर्य के असर में रहता है.
  • सूर्य की किरणों से जड़ और चेतन पोषण प्राप्त करते हैं. उसी प्रकार मानव का जीवन भी सूर्य के वशीभूत है.
  • चंद्रमा की चांदनी में नर नारी के दिल को सर्वाधिक आनंद की अनुभूति होती है एवं पक्षी पक्षी भी चांदनी में किलोले करते हैं.
  • चंद्रमा के तीन आकर्षण प्रभाव से समुद्र में ज्वार भाटा आता है.
  • चंद्रमा जिस तरह समुद्र के पानी में हलचल मचा देता है उसी तरह मानव शरीर के रुधिर संचालन में अपना प्रभाव भी निश्चित करता है.
  • चंद्रमा जब विद्यमान रहता है उसी समय वर्षा शुरू होती है. चंद्रकला के प्रभाव के कारण फाइलेरिया नाम की बीमारी बढ़ती और घटती है.
  • सूरज की किरणों में अलग-अलग ग्रहों से जुड़ी रश्मि के प्रकाश से इंद्रधनुष में साफ दृष्टिगोचर होता है.
  • पुराणों में लिखा है कि 7 ग्रहों में इन 7 ज्योतिर्मय पिंडो की उपस्थिति मौजूद होती है. इस असर को ग्रहण करके प्राणी भाव पर इसका प्रसारण होता है.
  • मानव शरीर की रचना भी एक साथ ज्योतिष रत्नो पर आधारित होती है. इन्हीं ज्योतिषी अपेक्षित मात्रा की न्यून अधिकता में इंसान को स्वास्थ्य संबंधी लाभ नहीं मिलता है.

प्रकृति वन औषधियां:-

  1. प्रकृति से प्रत्येक जलवायु में पैदा होने वाली वनऔषधियां ग्रह नक्षत्र के असर से पोषित होती हैं.
  2. उसी प्रकृति ने उपलब्ध तत्व पदार्थ से शरीर की रचना की है.
  3. अतः उसी के अनुसार तत्व पदार्थ से उपयोग में लाया जा सकता है.
  4. परिवर्तनशील चलित क्रम के अनुसार ग्रह नक्षत्रों का सीधा संबंध रश्मि के जरिए रत्न धातुओं से जुड़ा हुआ होता है. अतः रत्न धातु भी आकाशगंगा के प्रभाव से पोषित रहते हैं. रत्न भी एक प्रकार के पत्थर होते हैं.
  5. इंसान की शरीर की रचना के नियमानुसार शरीर के विकृत तत्व और अवयव का उस धातु या पदार्थ वाले रक्त से संबंध स्थापित किया जाए तो उस धातुओं के ग्रह नक्षत्र का खास प्रभाव से पोषण होता है.
  6. रत्न केवल चिंताकृषक, रंग, रूप और ज्वलंत अलंकार ही नहीं बल्कि इनका इस्तेमाल मानव के लिए बहुत ही उपयोगी होता है.
  7. यूनानी एवं आयुर्वेदिक आचार्यों के अनुसार रत्न की पृष्टि और भस्म को अलग-अलग रोगों पर इस्तेमाल करके रोगों का उपचार किया जाता है.
  8. जिससे असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं. रत्न चिकित्सा के माध्यम से अनेकों बीमारियों का इलाज किया जाता है.
  9. रत्न में भी बहुत सारे रत्न रंग मौजूद होते हैं. जिनके द्वारा रोगों का इलाज किया जाता है.
  10. एलोपैथी चिकित्सा में रंग द्वारा बीमारी ग्रस्त शरीर के हिस्से पर रोशनी डालने का नियम है.
  11. जिससे शरीर का रोग ग्रस्त हिस्सा पूरी तरह से ठीक हो जाता है. रत्न धारण विधि विधान का एक अंk होता है. जिसमें व्यक्ति का जन्म होता है. जिस ग्रह विशेष की रश्मि का प्रभाव व्यक्ति पर ज्यादा होता है जातक के स्वभाव और रंग रूप की रचना जैसी ही हो जाती है.
  12. सभी ग्रह मुख्य रश्मि अपने गुण अवगुण के अनुरूप शुभ और अशुभ प्रभाव का संचालन सुचारु रुप से स्वयं करते हैं.
  13. सूर्य रश्मि अतिरिक्त ग्रह नक्षत्रों को सम्मिलित रश्मियां इंसान के शरीर में प्रवेश करती हुई समय के अनुसार परिस्थिति वश हमारी रोजमर्रा के जीवन में उथल-पुथल और लाभ हानि के आकर्षण प्रभाव को दिखाती हैं.
  14. प्रकृति में मूल रूप से तम रज और सत इन तीनों प्रकार के आचरण करने वाले लोग होते हैं.
  15. कोई व्यक्ति एक ग्रह विशेष कि अशुभ रश्मि के कारण तमो गुणी प्रवृत्ति में वृद्धि पाकर पक्ष और विपक्ष अनर्थ करने लगता है.
  16. दूसरा इंसान जो कि रजोगुण ही रश्मि से पोषित है रजोगुण प्रवृत्ति के अनुसार सांसारिक जीवन को सफलतापूर्वक बनाने की कोशिश करता है.
  17. तीसरा मनुष्य सतोगुण रश्मि को ग्रहण करके अपने परिवार जनों के हित के लिए पथ प्रदर्शक के रूप में काम करता है.

ग्रह व् जन्म का समय :-

  • जातक के जन्म समय में ग्रह आपस में कभी तो अनुकूलता का प्रदर्शन करते हैं. जिससे जातक भाग्यशाली हो जाता है.
  • कभी-कभी इसके विपरीत आचरण में प्रतिरोध और गतिरोध करते हुए जातक का पूरा जीवन दुर्भाग्यपूर्ण हो जाता है.
  • रत्न जड़ित अंगूठी पहनने का रिवाज पुराने जमाने से चला आ रहा है.
  • जिसे कुछ खास वर्ग के लोग दिखावा, रूढ़ीवादी प्रचलन कहते हैं. कुछ लोग फैशन के लिए और कुछ पढ़े-लिखे लोग इसे दिमाग की उपज बताते हैं.
  • आज की युवा पीढ़ी हर बात के पीछे कुछ न कुछ तर्क चाहती है.
  • सभी मनुष्य अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं, पर कभी कभी जो काम लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी नहीं हो पाता है वह बहुत ही छोटे और सामान्य उपाय को करने से सफल हो जाता है.
  • एक बहुत बड़ा विशाल हाथी छोटे से अंकुश के वश में आ जाता है.
  • बड़े से बड़ा पहलवान एक छोटी सी गोली से मर जाता है और भयावह अंधकार में एक छोटा सा दीपक प्रकाश फैला देता है.
  • इसी तरह जीवन की संपूर्णता और सफलता के लिए छोटी-छोटी रत्न जड़ित मुद्रिका जिसे सामान्य भाषा में अंगूठी कहा जाता है बड़ा परिवर्तन ला सकती है.

रत्नों के प्रामाणिकता:-

  • गुरु गोरखनाथ ने साफ शब्दों में कहा है कि ऐसी समस्या नहीं है जो रत्न जड़ित मुद्रिकाओं के माध्यम से हल ना की जा सके.
  • इसके लिए उन्होंने अलग-अलग मुद्रिका और उसमें जड़ित  रत्नों के बारे में प्रामाणिकता के साथ बताया है.  ज्योतिष शास्त्र में रत्नों को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है.
  • रत्नों का संबंध ग्रहों से होता है और ग्रहों का सीधा संबंध इंसान के जीवन से होता है. इसलिए रत्न हमारे जीवन के भाग्य को संभालने में बहुत महत्वपूर्ण कार्य करते हैं.
  • खगोल शास्त्र की दृष्टि से देखा जाए तो भी रत्नों की उपयोगिता सिद्ध होती है .
  • आकाश मंडल में जितने भी छोटे-बड़े ग्रह नक्षत्र हैं वह सभी शून्य में एक निश्चित स्थान पर मौजूद रहते हैं.
  • इन सभी ग्रह नक्षत्रों में सूर्य सबसे बड़ा होता है और सूर्य के अंदर सबसे अधिक प्रकाश और गर्मी होती है.
  • सबसे छोटे नक्षत्र तारे और सितारे होते हैं जो आकाशगंगा में टिमटिमाते रहते हैं. यह सारे छोटे-बड़े नक्षत्र अपनी अपनी कक्षा में अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के द्वारा टिके हैं.
  • गुरुत्वाकर्षण एक चुंबकीय शक्ति होती है. आकाश का अर्थ शून्य होता है और इसी शून्य में सभी ग्रह विराजमान है. ग्रहों के टिकने का आधार आकर्षण और खिंचाव है. एक ग्रह दूसरे ग्रह को अपनी ओर खींचने की कोशिश करता है. अतः सभी ग्रह एक दूसरे के खिंचाव के कारण अपनी अपनी कक्षा में टिके रहते हैं.
  • यही चुंबकीय शक्ति पृथ्वी ग्रह पर रहने वाले प्राणियों पर भी अपना असर डालती है. क्योंकि स्वयं पृथ्वी भी उससे हमेशा प्रभावित रहती है.

ग्रहों के विशिष्ट गुण, विशिष्ट रत्न:-

  • अलग-अलग ग्रहों के अपने विशिष्ट गुण होते हैं और साथ ही इनके विशिष्ट रत्न भी होते हैं.
  • यही रत्न पहनने पर अलग-अलग ग्रहों के प्रभाव को कम ज्यादा किया जाता है.
  • जिसका असर हमारे जीवन में बदलाव लाने में सक्षम होता है.
  • यह भी कहा जा सकता है कि रत्नों में निश्चित रूप से आकर्षण और खिंचाव होता है जो ग्रहों के संपर्क में रहते हैं. अंगूठी उंगली की जड़ में धारण की जाती है.
  • विज्ञान ने कई सालों की खोज के बाद एक शोध प्रस्तुत किया जो अपने आप में ही महत्वपूर्ण है.
  • मूलतः हाथ में चार उंगलियां और एक अंगूठा होता है.
  • अंगूठे के पास वाली उंगली को तर्जनी, सबसे बड़ी उंगली को मध्यमा, उसके बाद वाली उंगली को अनामिका और सबसे अंतिम उंगली को कनिष्का कहा जाता है.
  • बाएं हाथ की उंगलियां भी इन्हीं नामों से जानी जाती है.
  • अमेरिका के हावर्ड यूनिवर्सिटी में इस संबंध में एक शोध प्रस्तुत किया गया.
  • उसके निर्णय इस प्रकार है तर्जनी के मूल में कुछ ऐसी छोटी-छोटी नाड़ियां मौजूद होती है जिनका सीधा संबंध दिमाग से होता है.

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