भगवान विष्णु की सबसे खास विशेषता उनका आकर्षक अवतार रूप है. ब्रह्मा और शिव के स्वभाव के विपरीत भगवान विष्णु ने लोक कल्याण के लिए बहुत सारे अवतार लिए. भगवान विष्णु अपनी सर्वकालिक, सर्वज्ञ, सर्वव्यापी, सनातन सत्ता को जीव निर्जीव पदार्थों में मानव कल्याण के लिए विग्रह करने में समर्थ है. पुराणों में बताया गया है कि भगवान विष्णु के अवतारों की संख्या 4, 24 और 28 तक है, पर भारत में भगवान विष्णु के 10 अवतार माने जाते हैं. आज हम आपको भगवान विष्णु के 10 अवतारों के बारे में बताने जा रहे हैं.
1. मत्स्य अवतार :- भगवान विष्णु ने आदि मानव जाति के प्रवर्तक मनु को प्रलय के प्रकोप से बचाने के लिए मत्स्य अवतार लिया था. मत्स्य अवतार लेने से पहले ही भगवान विष्णु ने मनु को बता दिया था और सभी जीव जंतुओं और जोड़ों को नाव में सवार होने का आदेश दिया था. प्रलय आने पर समुद्र में गिरी मनु की नाव को भगवान विष्णु ने सहारा दिया और इस तरह मानव जाति को खत्म होने से बचा लिया. मनू एक बहुत ही बड़े विष्णु भक्त थे और उन्होंने अपनी भक्ति और तपस्या के द्वारा भगवान विष्णु को प्रसन्न किया था. भगवान विष्णु की कृपा और दया दृष्टि से मानव जाति का सर्वनाश होने से बच गया था.
2. कूर्म अवतार :- प्रलय आने पर समुद्र के अंदर खो गई चीजों को फिर से प्राप्त करने के लिए क्षीरसागर का मंथन किया गया. जिसमें मंदार पर्वत की चरखी बनाकर वासुकी नामक सांप की रस्सी से उसे लपेटा गया और फिर एक तरफ से देवता और दूसरी तरफ से राक्षस खड़े हुए. तब भगवान विष्णु ने कछुए का अवतार लेकर मंदार पर्वत को क्षीरसागर में अपनी पीठ पर रखा. जिससे समुद्र का मंथन किया जा सके. समुद्र मंथन में 14 महत्वपूर्ण चीजे बाहर आई. अमृत, धन्वंतरि, लक्ष्मी, सुरा, चंद्र, रंभा, उच्चश्रवा, कौस्तुभ मणि, पारिजात वृक्ष, देविक वृक्ष( जो मन वांछित इच्छा पूर्ण करता है) कामधेनु या सुरभि (मनोकामना पूरी करने वाली गाय) एरावत हाथी, शंख, धनुष और विश
3. वराह अवतार :- भगवान विष्णु ने अपने ईश्वरीय तत्व का थोड़ा सा भाग एक रीछ के अंदर प्रवेश कराया जो बाद में वराह अवतार के नाम से मशहूर हुआ. वराह अवतार माँ शक्ति का प्रतीक था जिसने राक्षस हिरण्याक्ष के साथ 1000 साल तक युद्ध करने के बाद जीत हासिल की और उसके हाथों पृथ्वी को समुद्र में डूबने से बचाया. भगवान् विष्णु ने वाराहवतार लेकर अपनी सींग के द्वारा पृथ्वी को समुद्र में खींच कर से सतह पर लाकर पृथ्वी का उद्धार किया. एक दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार प्रलय आने पर पृथ्वी समुद्र से ढक गई. अगर विष्णु वराह अवतार लेकर जल प्लावन में उनके वरिष्ठ दांतों पर पृथ्वी को नहीं उठाते तो पृथ्वी जल में प्रवाहित हो जाती.
4. नरसिंह अवतार :- भगवान विष्णु ने अर्ध मानव और अर्ध सिंह का शरीर धारण करके नरसिंह अवतार लिया था और निरंकुश अत्याचारी राजा हिरण्यकश्यप का संघार किया था. हिरण्यकश्यप ने प्रजापति ब्रह्मा को प्रसन्न करके यह वरदान प्राप्त किया था कि उसे देवता मनुष्य जानवर कोई नहीं मार पाए और ना ही कोई अस्त्र-शस्त्र उसका वध कर पाए. तब हिरण्यकश्यप का अंत करने के लिए भगवान विष्णु और मनुष्य और अर्ध सिंह के रूप में प्रकट हुए और अपने नाखूनों के द्वारा हिरण्याकश्यप के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. भगवान् विष्णु ने यह चार अवतार चारों कालों के सर्वोत्तम काल सतयुग में लिए थे.
5. वामन अवतार :- दूसरा युग सतयुग के बाद द्वापर युग में भगवान विष्णु ने अपने ईश्वरीय अंश को एक बौने व्यक्ति के अंदर डालकर वामन अवतार धारण किया और राक्षस बली जो तीनों लोकों पर कब्जा करना चाहता था, उससे तीनो लोकों को प्राप्त किया. भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा. भगवान विष्णु के 2 पगों में स्वर्ग और पृथ्वी लोक आ गए और पाताल लोक को भगवान विष्णु ने राजा बलि के लिए छोड़ दिया.
6. परशुराम अवतार :- परशुराम एक ऋषि थे जो अपने एक हाथ में फरसा धारण करते थे. भगवान विष्णु ने ईश्वर तत्व के अंश को व्यक्त किया और ब्रह्म ऋषि के वंशज एक ब्राम्हण जमदग्नि के पुत्र के रूप में अवतार लिया. परशुराम ने क्षत्रियों द्वारा ब्राह्मणों पर किए जा रहे अत्याचारों को रोका और पृथ्वी से 21 बार क्षत्रिय प्रजापति का अंत किया .
7. रामचंद्र अवतार :- अपनी अर्ध ईष्वरीय सत्ता को भगवान विष्णु ने त्रेता युग खत्म होने पर दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म लिया. भगवान विष्णु के इस अवतार का नाम रामचंद्र था .रामचंद्र चंद्रमा के समान सुंदर थे. इन्होंने सूर्यवंश में अवतार लिया. जिन्होंने अत्याचारी राक्षस रावण का वध किया. आज के समय में सभी जगहों पर रामचंद्र जी की पूजा की जाती है. रामचंद्र को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है. वह एक आदर्श मानवीय रूप है जो पुत्र के रूप में, पति के रूप में और भाई के रूप में और मित्र के रूप में लोगों के लिए एक मिसाल है. रामचंद्र के जीवन का आदर्श उत्कर्ष उनके ईश्वरय होने का परिचायक है. भगवान विष्णु पहली बार राम रूप में ईश्वरीय शक्ति के साथ अवतरित हुए. रामचंद्र के रूप में भगवान विष्णु ने आदर्श मानव का जीवन जिया और अपनी पूरी लीला में एक मानव की तरह ही मृत्यु प्राप्त की. रामचंद्र का नाम लेने से सभी संकट दूर हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
8. कृष्णावतार :- कृष्ण अवतार भगवान विष्णु का आठवां अवतार था. भगवान विष्णु का यह अवतार सौ 10 कलाओं से पूर्ण, सांवले सलोने, रसिक, नटराज, श्यामसुंदर, राधा मोहन, यदुवंशी, सरस, मनमोहक था. बाल गोपाल श्रीकृष्ण अपनी क्रीड़ाओं से गोप और गोपियों का मन मोह लेते थे. कृष्ण ने गोपियों के साथ रास रचाते हुए वृंदावन को आनंदवन में बदल दिया था. इन्होंने अपने बल पराक्रम के द्वारा राक्षसी पूतना का वध किया. कालका नाग को मारा और गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्का उंगली पर उठाकर अपनी लीला से सभी लोगों को देवत्व के दर्शन कराएं. भगवान कृष्ण ने अपने भुजा बल से कंस जैसे राक्षस का वध करके धरती को पाप से मुक्त कराया और अधर्म का नाश किया. महाभारत में एक गंभीर राजनीतिज्ञ की भूमिका निभाते हुए भगवान कृष्ण ने बुद्धि चातुर्य का इस्तेमाल करके अर्जुन को निराशा के गर्त से बाहर निकाला और गीता का उपदेश दिया.
9. बुद्धा :- गीत गोविंद में बताया गया है की छोटे जीवो पर दया दिखाने के लिए भगवान् विष्णु ने संशयवादी बुद्ध के रूप में भी अवतार लिया. कपिलवस्तु के राजकुमार सिद्धार्थ जिसने बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया. वह विष्णु का ही अवतार थे. ऐसा हमारे पुराणों में बताया गया है.
10. कलकी या कालिकन अवतार :- कलयुग के अंत में भगवान विष्णु कल्कि या कालिका अवतार लेने वाले हैं. जब यह पूरा जगत विनाश की ओर बढ़ जाएगा तो भगवान विष्णु आकाश में ही अवतार लेंगे. सफेद घोड़े पर सवार नक्षत्र कि तरह चमकती तलवार धारण किए भगवान विष्णु आकाश में प्रकट होंगे और अधर्म और अन्याय का संघार करेंगे तथा पूरी सृष्टि का उद्धार करने के पश्चात नवीन सृष्टि की रचना की जाएगी और इस तरह फिर से सतयुग की स्थापना होगी. भगवान विष्णु के इस अवतार को अश्वतार कहा जाएगा.